वो सच को सुन पाया ही नहीं।
मैने भी समझाया ही नही।
मैने कुछ कहना चाहा पर,
सुनने वाला आया ही नहीं।
शायद किस्मत के लेखों से,
कोई भी बच पाया ही नहीं।
इतना भी काली रात न थी,
पर दीपक जलवाया ही नहीं।
सुन ‘मीन’ खताएं करने पर
वो शख़्स तो पछताया ही नहीं।
©Minesh chauhan
#Silence