"आधुनिक जहाँ,
घुम गया प्यार।
कुछ अनबन परिवार में,
ये पड़ा लिखा समाज।
नफ़रतों का इनाम,
सर्हदों में जहाँ।
दिल बाप के लकीर खिंचे,
ये पड़ा लिखा समाज।
सँस्कारों का अपमान,
केवल धन का सत्कार।
मर के छाती पर ले जायेगा,
ये पड़ा लिखा समाज।
पड़ा लिखा समाज....!
©Ek tannha shayar
"