काग़ज में, शाही तु, क़लम हैं जिंदगी, एक ने साहरा दिया एक ने टेहराव दिया बदल गई जिंदगानी को। एक ने अतीत को भुला के बदल दी अपनी दास्तान को, एक ने अपने ही रंग लिया उस दास्तान को। नज़र काग़ज़ पे पर नज़र पढ रहें हैं अल्फाजों को, वैसा तेरा मेरा रिश्ता हे जो दूर तो हैं पर बंधे रहे हैं यादों के डोर को।
💱Shabdyog💱
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©Yogesh More
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