मुझे क्या होरा है पता नहीं
ज्यादा दिन घर में रहा जाता नही
कही चली जाऊं मन करता है
या शायद मेने ही घर को कैद बना लिया है
जिसकी कैद में ज्यादा दिन रहना पसंद नही
थोड़े थोड़े दिन बाद बाहर जाने को मन करता है
कही चली जाऊं मन करता है
या शायद कैद मेरा मस्तिष्क है
जिसमे में अपने आप को कैद कर लेती हू
और बाहर जाने से मस्तिष्क को आराम मिलता हैं
या जिंदगी जीने के लिए कोई वजह
मैं क्या लिख रही हूं पता नही
मुझे क्या होरा है पता नही
©Priya
#bicycleride
#peace