मंजिल खुदको मिले या ना अपने दोस्त को वहाँ तक पहुँच | हिंदी शायरी

"मंजिल खुदको मिले या ना अपने दोस्त को वहाँ तक पहुँचाते है सुदामा सा भटक रहा होता हू जब भी मेरे हर दोस्त में मुझे श्री कृष्ण नजर आते है ©maichotuormerishayari"

 मंजिल खुदको मिले या ना
अपने दोस्त को वहाँ तक पहुँचाते है
सुदामा सा भटक रहा होता हू जब भी
मेरे हर दोस्त में मुझे श्री कृष्ण नजर आते है

©maichotuormerishayari

मंजिल खुदको मिले या ना अपने दोस्त को वहाँ तक पहुँचाते है सुदामा सा भटक रहा होता हू जब भी मेरे हर दोस्त में मुझे श्री कृष्ण नजर आते है ©maichotuormerishayari

#Krishna

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