दुनिया की नज़र में ऐसी शादी का होना बस एक प्रेम कहानी का अंत होना होता है! लेकिन वास्तविकता वही जाने जिसने सही में प्रेम किया हो, क्योंकि, जिससे प्रेम हो उसे भूल पाना शायद असम्भव सा हो जाता है!
जावेद अख्तर शाहब की शायरी कितनी सटीक बैठती है इस संदर्भ में
"वो शक्ल पिघली तो हर शय में ढल गई जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में "
ये सच में आहत करने वाली कहानी थी लेकिन धनिका के अलावा घरवालों को पता तक नहीं चला और भावनाओं को अर्चना ने शायद अपने ह्रदय की कालकोठरी में ऐसा दबाया कि उसके सिवा कोई और देख भी ना पाया, समझना तो दूर!
©Saurabh jha
#romanticstory