में समझ नही पाऊंगी।
अक्सर कहते है लोग हा लेकिन किसी की ख़ामोशी के पिछे का दर्द महसूस कर सकती हूं।
✍️ madhukvi
फिर भी में समझ नहीं पाऊंगी।
किसी के गुस्से के पीछे कि आह सुन सकती हूं।
पर में फिर भी नही समझ सकती।
✍️ madhukvi
हां किसी के आसुओं के पीछे का कारण जान सकती हूं.
पर में समझ नहीं सकती हूं
रोज बोलने वाला अगर चुप हो जाए तो उसके पिछे छिपी चिलाहतें सुन सकती हूं।
,✍️ madhukvi
पर में नही समझ सकती।
ना कहने की बात महसूस कर सकती हूं
पर अक्सर सुनाई सिर्फ यही देता है की मे समझ नही सकती हूं।
✍️ madhukvi.....✍️ 💞
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