White सोचा था एक सड़क ऐसी भी होंगी जो मन से मन क़ो जोड़ेगी
स्वप्न की छाँव में यथार्थ का प्रतिबिम्ब छोड़ेगी
कितना ढली, और ढलती रही सूर्य बन न सकी तो चिराग बनकर जलती रही
एक मन था मेरे पास और मन में थे न जाने कितने विशुद्द अहसास
परन्तु दिखावे और चमक के युग में अहसास बेरंग से रह गये
हम बनकर भी किसी के अजीज एकदिन आम रह गए
हाँ मेरे सारे सपने बेमोल बिक गए
मेरे सारे सपने बेमोल बिक गए
©Pratibha Singh
#GoodMorning