White *होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते*
*साहिल पे समुंदर के ख़ज़ाने नहीं आते*
*पलकें भी चमक उठती हैं हमारी*
*आँखों को अब ख़्वाब छुपाने नहीं आते*
*दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है*
*अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते*
*यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं*
*अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते*
*उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में*
*फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते*
*इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं*
*ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते*
*अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं*
*आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते*
Op Verma ☺️
©Narayan Nirmlakar
#love_shayari हिंदी शायरी