White नई जंग नई पहल
नई कहानी
फिर कुछ बदलाव के किस्से
फिर नए पंख
भारी भारी इरादों के साथ
फिर पुराने साल से
नए साल में तब्दील हो जाना
पर इनके बीच
फिर भी वही पुराने
कामों को पूरा करने की
बेबाक मंशा
खुद से तैयार किए गए
गंतव्यों के पर्चे
खुली पड़ी किताबों को बंद
करके मंजिल को
पास से देखने की अटूट इच्छा
पुरानी ही होती है
साल कि संख्या बदलती है
इंसान की जिंदगी नहीं।
©–Varsha Shukla
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