ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं,
मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं ।
जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे,
दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं ।
आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं,
सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं ।
क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने,
फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने ।
इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं,
फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं ।
ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है ।
© @nitesh__9000
#cousinsday