एक मैं हूँ यहाँ एक तूँ है
सिर्फ साँसो की ही गुफ़्तगू है,
चाँद के साज पर रोशनी,
गीत गाते हुए आ रही है,
तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है,
वक्त यूँ ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी एक आरजू है,
एक मैं हूँ यहाँ एक तूँ है सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है l
©प्रभाकर अजय शिवा सेन
#एकमैंहूँयहाँ