रहते जहां हमारे जिंदा खुदा, यही ...........वो दरबा | हिंदी Bhakti

"रहते जहां हमारे जिंदा खुदा, यही ...........वो दरबार है, भरते झोली खुशियों से सबकी, मेरे सतगुरु की सरकार ऐसी है। ©kamlesh pratap singh"

 रहते जहां हमारे जिंदा खुदा,
यही ...........वो दरबार है,
भरते झोली खुशियों से सबकी,
मेरे सतगुरु की सरकार ऐसी है।

©kamlesh pratap singh

रहते जहां हमारे जिंदा खुदा, यही ...........वो दरबार है, भरते झोली खुशियों से सबकी, मेरे सतगुरु की सरकार ऐसी है। ©kamlesh pratap singh

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