निकल रहे थे आंसु मेरे, और अंधेरी रात थी घर के हज़ | हिंदी शायरी

"निकल रहे थे आंसु मेरे, और अंधेरी रात थी घर के हज़ार मसले थे, और साथ उसकी याद थी ©Varun Vashisth"

 निकल रहे थे आंसु मेरे, और अंधेरी रात थी
 घर के हज़ार मसले थे, और साथ उसकी याद थी

©Varun Vashisth

निकल रहे थे आंसु मेरे, और अंधेरी रात थी घर के हज़ार मसले थे, और साथ उसकी याद थी ©Varun Vashisth

#lonely

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