ये कैसा भेद है नैन मिलते ही ह्रदय में कुछ उल्लास | हिंदी Poetry

"ये कैसा भेद है नैन मिलते ही ह्रदय में कुछ उल्लास है ज़रा सा खेद है किसी की प्रतीक्षा है या पश्चाताप है भावनाओं का तालाब है चेतनाओ के दरिया है मुख सुर्ख गुलाब है तमाम अनगिनत शब्द है अनसुलझे लेहज़ो में शब्दों का फैलाव है एक चेहरा लेहराता है बुझते हुए चिरागो में एक भी जवाब मिलता नहीं इन सवालों में कोई किसी का क्यों हों जाता है चंद मुलाकातों में एक राज़ ए प्रेम पोशिदा है इतनी वार्तालापो में एक बात रह जाती है इतनी बातो में कोई अजनबी बुलाता है नीम शब ख़्वाबों में नीली झील किनारे ये कौन मुझको पुकारे सन्नाटे है गलियों में और छुप सी हैं दीवारें फूल और कली सब हैरान है मेरी किसकी चहलकदमी से लेकिन सरगोशीयाँ करते है गालियारे ताइर ए क़ल्ब क़ैद है एक पल भरती है अगले पल खुल जाती है दरारे ©qais majaz,pheonix"

 ये कैसा भेद है नैन मिलते ही 
ह्रदय में कुछ उल्लास है ज़रा सा खेद है 
किसी की प्रतीक्षा है या पश्चाताप है 
भावनाओं का तालाब है 
चेतनाओ के दरिया है 
मुख सुर्ख गुलाब है 
तमाम अनगिनत शब्द है 
अनसुलझे लेहज़ो में 
शब्दों का फैलाव है 
एक चेहरा लेहराता है 
बुझते हुए चिरागो में 
एक भी जवाब मिलता नहीं इन सवालों में 
कोई किसी का क्यों हों जाता है चंद मुलाकातों में 
एक राज़ ए प्रेम पोशिदा है 
इतनी वार्तालापो में 
एक बात रह जाती है इतनी बातो में 
कोई अजनबी बुलाता है 
नीम शब ख़्वाबों में
 नीली झील किनारे ये कौन मुझको पुकारे 
सन्नाटे है गलियों में और छुप सी हैं दीवारें 
फूल और कली सब हैरान है 
मेरी किसकी चहलकदमी से 
लेकिन सरगोशीयाँ करते है गालियारे 
ताइर ए क़ल्ब क़ैद है एक पल भरती है अगले 
पल खुल जाती है दरारे

©qais majaz,pheonix

ये कैसा भेद है नैन मिलते ही ह्रदय में कुछ उल्लास है ज़रा सा खेद है किसी की प्रतीक्षा है या पश्चाताप है भावनाओं का तालाब है चेतनाओ के दरिया है मुख सुर्ख गुलाब है तमाम अनगिनत शब्द है अनसुलझे लेहज़ो में शब्दों का फैलाव है एक चेहरा लेहराता है बुझते हुए चिरागो में एक भी जवाब मिलता नहीं इन सवालों में कोई किसी का क्यों हों जाता है चंद मुलाकातों में एक राज़ ए प्रेम पोशिदा है इतनी वार्तालापो में एक बात रह जाती है इतनी बातो में कोई अजनबी बुलाता है नीम शब ख़्वाबों में नीली झील किनारे ये कौन मुझको पुकारे सन्नाटे है गलियों में और छुप सी हैं दीवारें फूल और कली सब हैरान है मेरी किसकी चहलकदमी से लेकिन सरगोशीयाँ करते है गालियारे ताइर ए क़ल्ब क़ैद है एक पल भरती है अगले पल खुल जाती है दरारे ©qais majaz,pheonix

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