श्रृंगार का सत्कार
वो कहते हैं औरत हो श्रृंगार करो
चेहरे का रंग तो ज़रा निखार लो,
बदन पर हल्दी चंदन का लेप लगाओ
तन पर साज़- सज़ावट का काज़ करो,
बजाओ कंगन खन -खन हांथों में
पायल के छन -छन से छनकार भरो,
गज़रे सज़ाकर लंबे केशों में अपने
घर -आँगन मेरा तुम महकाया करो,
दिखने न पाए चिंता की कोई रेखा
सदा झुमका बिंदिया नथिया धरो,
मुखड़े पर शिकन न आने पाए
मंगलसूत्र का कुछ तो लाज़ रखो..!
सिकुड़न न कपड़े पर आ पाए
हर पल पहनावे का ध्यान रखो,
व्यस्तता चाहे जितनी जो भी हो
सर पर आँचल ओढ़े तैयार दिखो,
मन में गम दुःख दर्द हो भी तो
सदा मुख पर अपने मुस्कान रखो,
अब ख़ुद के लिए पहले से दुज़ी हो
अपना तन मन धन हमपर वार दो,
दहलीज़ तक ही दायरा तुम्हारा हो
सज -धज कर घर तक ही सिमटो,
नारी के इस गरिमा का सम्मान करो
नारी हो तो नारी वाला ही शौक रखो !
©Deepali Singh
#Naari