कार्तिक माह की एकादशी को
मंगल उत्सव यह होता है।
माता तुलसी के संग
शालिग्राम का विवाह होता है।।
हर घर के आँगन में
मण्डप गन्ने का सजता है।
कई तरह के फलों संग
मिष्ठान का भोग लगता है।।
माता मानकर ही वृन्दा को
हर दिन पूजा जाता है।
मंजरी की वजह से इन्हें
मंजरीक भी कहा जाता है।।
मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश
आज से ही किया जाता है।
श्रीहरि की आराधना करके
कार्य शुरू किया जाता है।।
श्री श्याम का ही रूप
शालिग्राम को माना जाता है।
माता वृंदावनी के संग ही
सदैव उन्हें भी पूजा जाता है।।
तुलसी