स्कूल में हम यार हर रोज देरी से जाते थे फिर लेट ल | हिंदी कविता

"स्कूल में हम यार हर रोज देरी से जाते थे फिर लेट लाइन में खडे होके सिंघम के डन्डे खाते थे पहला पीरियड हमेशा हम खेल मैदान में बिताते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे लंच में खाना खुदका छिपा यारों का छिन खाते थे लंच से पहले लडकियों के टिफीन भी खाली मिलते थे सच बताउं यारों के मन लंच ओर गेम पीरियड मे ही लगते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे पी.टी.आई सिंघम के साथ हमारी बडी जबर्दस्त पटती थी हम आगे आगे वो हमारे पीछे पीछे भगती थी फूटबाल खलने सारे दोस्त बडे शोक से जाते थे फिर जो भी गोल करता उसकी पेन्ट जरुर ही फटती थी कबड्डी खेलते वक्त यारों की शर्ट भी तो फटती थी फिर सेफ़्टी पिन लगाके इज्जत यारों की बचाते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे 2017 का बैच सारे स्कूल में रोनक रखता था यार बस यार का गाना हर दोस्त के दिल में बजता था कुछ गुस्से वाले तो कई नरम दिल के होते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे"

 स्कूल में हम यार हर रोज देरी से जाते थे 
फिर लेट लाइन में खडे होके सिंघम के डन्डे खाते थे
पहला पीरियड हमेशा हम खेल मैदान में बिताते थे 
यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे 

लंच में खाना खुदका छिपा यारों का छिन खाते थे 
लंच से पहले लडकियों के टिफीन भी खाली मिलते थे 
सच बताउं यारों के मन लंच ओर गेम पीरियड मे ही लगते थे 
यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे 

पी.टी.आई सिंघम के साथ हमारी बडी जबर्दस्त पटती थी
हम आगे आगे वो हमारे पीछे पीछे भगती थी
फूटबाल खलने सारे दोस्त बडे शोक से जाते थे 
फिर जो भी गोल करता उसकी पेन्ट जरुर ही फटती थी
कबड्डी खेलते वक्त यारों की शर्ट भी तो फटती थी 
फिर सेफ़्टी पिन लगाके इज्जत यारों की बचाते थे 
यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे 

2017 का बैच सारे स्कूल में रोनक रखता था 
यार बस यार का गाना हर दोस्त के दिल में बजता था 
कुछ गुस्से वाले तो कई नरम दिल के होते थे 
यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे

स्कूल में हम यार हर रोज देरी से जाते थे फिर लेट लाइन में खडे होके सिंघम के डन्डे खाते थे पहला पीरियड हमेशा हम खेल मैदान में बिताते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे लंच में खाना खुदका छिपा यारों का छिन खाते थे लंच से पहले लडकियों के टिफीन भी खाली मिलते थे सच बताउं यारों के मन लंच ओर गेम पीरियड मे ही लगते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे पी.टी.आई सिंघम के साथ हमारी बडी जबर्दस्त पटती थी हम आगे आगे वो हमारे पीछे पीछे भगती थी फूटबाल खलने सारे दोस्त बडे शोक से जाते थे फिर जो भी गोल करता उसकी पेन्ट जरुर ही फटती थी कबड्डी खेलते वक्त यारों की शर्ट भी तो फटती थी फिर सेफ़्टी पिन लगाके इज्जत यारों की बचाते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे 2017 का बैच सारे स्कूल में रोनक रखता था यार बस यार का गाना हर दोस्त के दिल में बजता था कुछ गुस्से वाले तो कई नरम दिल के होते थे यार इकट्ठे होके हम बडी शरारत करते थे

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