Unsplash बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है | हिंदी शायरी

"Unsplash बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना है ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगे बदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है नज़र में रखना कहीं कोई ग़म-शनास गाहक मुझे सुख़न बेचना है ख़र्चा निकालना है निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है Umair Najmi ©Er Aryan Tiwari"

 Unsplash बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है
बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना है

ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगे
बदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है

नज़र में रखना कहीं कोई ग़म-शनास गाहक
मुझे सुख़न बेचना है ख़र्चा निकालना है

निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा
अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है
Umair Najmi

©Er Aryan Tiwari

Unsplash बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना है ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगे बदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है नज़र में रखना कहीं कोई ग़म-शनास गाहक मुझे सुख़न बेचना है ख़र्चा निकालना है निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है Umair Najmi ©Er Aryan Tiwari

#snow शायरी दर्द #काव्यार्पण

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