"इश्क़ हैं "
वो मेरी बस एक बात नहीं समझती है
कि सितारों के बीच वो चांद सी चमकती है
इश्क है बयां करता हूं आंखों से रोज़,
ये जमाना समझता है पर वो नहीं समझती हैं...।।
वो मेरी बस एक बात नहीं समझती हैं
कि कांटो के बीच वो गुलाब सी लगती है
बनाना चाहता हूं जिंदगी का नूर जिसे
वो मुझसे दूर दूर रहती है ये जमाना
समझता है इश्क है, पर वो नहीं समझती है...।।
वो मेरी बस एक बात नहीं समझती है
लाखों की भीड़ में जो मुझे अपनी सी लगती है
मैं तकता हूं उसे तो वो बस मुस्कुरा देती है
ये जमाना समझता है इश्क है,
पर वो नहीं समझती है...।।
ताज्जुब कि वो मेरी सारी बात समझती है
बस इश्क है बयां करता हूं इशारों से, ये
जमाना समझता है, एक वो नहीं समझती है...।।
©priya prajapati
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