हवस का पुजारी 'ओवर द टॉप' जब से समाज ने ओ• टी• टी• | हि

"हवस का पुजारी 'ओवर द टॉप' जब से समाज ने ओ• टी• टी• की दुनिया में कदम रखा है, अश्लीलता दिखाना बड़ा आम हो गया है। कलाकारों का नग्न होना खास हो गया है। वासना का प्रदर्शन खुलेआम हो गया है। शालीनता का तो जैसे निकास हो गया है। मां-बहन का भीषण गंदा नाम हो गया है। हां ओ• टी• टी• गालियों का धाम हो गया है। आज युवावर्ग वासना का दास हो गया है। मानो निर्देशक का बस यही प्रयास हो गया है। लेकिन ये सब उतना ही गलत है जितना एक सोए हुए राक्षस को जगाना, ये सब दिखाके आप युवाओं के अंदर सोए हुए वासना रूपी राक्षस को जगा रहे हैं। मां-बहन जैसे प्यारे रिश्तों का कोई सम्मान नहीं रह गया है, काम को रोज़ एक नए तरीके-नए रूप के साथ परोसा जा रहा है,, लोगों के दिलो-दिमाग पे हवस इस कदर हावी हो रही है जिसके परिणाम बहुत भयावह होंगे।। क्या कोई ऐसी सीरीज़ नहीं आती जिसमें अश्लीलता का एक कण भी नहीं होता, और अगर आती है तो क्या उसे लोकप्रियता हासिल नहीं होती?? निर्देशकों को ये सीख लेनी चाहिए कि काम कहानी पे किया जाए वासना पे नहीं.. ©Ankur "

हवस का पुजारी 'ओवर द टॉप' जब से समाज ने ओ• टी• टी• की दुनिया में कदम रखा है, अश्लीलता दिखाना बड़ा आम हो गया है। कलाकारों का नग्न होना खास हो गया है। वासना का प्रदर्शन खुलेआम हो गया है। शालीनता का तो जैसे निकास हो गया है। मां-बहन का भीषण गंदा नाम हो गया है। हां ओ• टी• टी• गालियों का धाम हो गया है। आज युवावर्ग वासना का दास हो गया है। मानो निर्देशक का बस यही प्रयास हो गया है। लेकिन ये सब उतना ही गलत है जितना एक सोए हुए राक्षस को जगाना, ये सब दिखाके आप युवाओं के अंदर सोए हुए वासना रूपी राक्षस को जगा रहे हैं। मां-बहन जैसे प्यारे रिश्तों का कोई सम्मान नहीं रह गया है, काम को रोज़ एक नए तरीके-नए रूप के साथ परोसा जा रहा है,, लोगों के दिलो-दिमाग पे हवस इस कदर हावी हो रही है जिसके परिणाम बहुत भयावह होंगे।। क्या कोई ऐसी सीरीज़ नहीं आती जिसमें अश्लीलता का एक कण भी नहीं होता, और अगर आती है तो क्या उसे लोकप्रियता हासिल नहीं होती?? निर्देशकों को ये सीख लेनी चाहिए कि काम कहानी पे किया जाए वासना पे नहीं.. ©Ankur

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