हर रोज़ मेरे ग़म को हवा मिलती है जनाब
इक शख्स की ये मुझपे इनायत सी लगे है
पढ़कर के जिसे जान सी निकले हरेक बार
कहने को तो ये चीज़ तेरे ख़त सी लगे है
लगती है खिलोने की तरह सबको मुहब्बत
दिल तोड़ना भी एक रवायत सी लगे है
उनके मिज़ाज को न समझ पाया मैं कभी
मेरी हरेक बात शिक़ायत सी लगे है
अब उनसे क्या कहें जाकर के दिल की बात
जिनको हमारे नाम से नफरत सी लगे है
©pragati tiwari
#walkingalone शत्रुहन दुबे @AHIL KHAN @Yogendra Nath @Ramesh Puri Goswami (ravi) 🌹Meet🌹✍️