डर लगता है इस व्यवस्था से, आने वाली बुजुर्ग अवस्था | हिंदी Sad

"डर लगता है इस व्यवस्था से, आने वाली बुजुर्ग अवस्था से, जवानी बच्चों को पालने में निचोड़ दी, रीढ़ की हड्डी उम्र भर की कमाई ने तोड़ दी, आज कोई हमदम, कोई सहारा ना रहा, हम सबके थे जवानी में, बुढ़ापे में कोई हमारा ना रहा, हम अपनो के द्वारा ही ठगे हैं, बुढ़ापे में खुदको सही साबित करने में लगे हैं, आज यही हर एक बेटे का काम हो गया, मेरा मुन्ना शादी के बाद जोरू का गुलाम हो गया। ©Vishesh"

 डर लगता है इस व्यवस्था से,
आने वाली बुजुर्ग अवस्था से,
जवानी बच्चों को पालने में निचोड़ दी,
रीढ़ की हड्डी उम्र भर की कमाई ने तोड़ दी,
आज कोई हमदम,
कोई सहारा ना रहा,
हम सबके थे जवानी में, 
बुढ़ापे में कोई हमारा ना रहा,
हम अपनो के द्वारा ही ठगे हैं,
बुढ़ापे में खुदको सही साबित करने में लगे हैं,
आज यही हर एक बेटे का काम हो गया,
मेरा मुन्ना शादी के बाद जोरू का गुलाम हो गया।

©Vishesh

डर लगता है इस व्यवस्था से, आने वाली बुजुर्ग अवस्था से, जवानी बच्चों को पालने में निचोड़ दी, रीढ़ की हड्डी उम्र भर की कमाई ने तोड़ दी, आज कोई हमदम, कोई सहारा ना रहा, हम सबके थे जवानी में, बुढ़ापे में कोई हमारा ना रहा, हम अपनो के द्वारा ही ठगे हैं, बुढ़ापे में खुदको सही साबित करने में लगे हैं, आज यही हर एक बेटे का काम हो गया, मेरा मुन्ना शादी के बाद जोरू का गुलाम हो गया। ©Vishesh

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