ram lala ayodhya mandir बरषा को गोबर भयो, को चहै को करै प्रीति।
तुलसी तू अनुभवहि अब, राम बिमुख की रीति॥
तुलसी कहते हैं कि तू अब श्री रामजी से विमुख मनुष्य की गति का तो अनुभव कर, वह बरसात का गोबर हो जाता है (जो न तो लीपने के काम में आता है न पाथने के) अर्थात् निकम्मा हो जाता है। उसे कौन चाहेगा? और कौन उससे प्रेम करेगा?
©ayansh