अपना कैसे कह दें ख़ाबों को,
बस रखते हैं पास किताबों को।
ऐतबार नहीं है अब ख़ुद पर भी,
तो कैसे मानें गलत ज़वाबों को।
हम कसमों से ख़ुद को दूर रखे,
उसने तोङा है जबसे वादों को।
इक लङकी को खुश करने में,
बस तोङ सके न गुलाबों को।
©veer jii
#roseday Ayushi Agrawal Anupma aggarwal vidushi MISHRA A@isha Rana Ritika Gupta