घना अंधेरा है रूह के गलियारों में..
गैरो से सितम जारी है दिल टूटा है गली चौबारों में,
कोई रोशनी उम्मीद की दिखाई नहीं देती....
खुदगर्जियां भर गई है बचपन के यारो में..
अपनी दुनिया ही ठीक है "मणि" जीने के लिए...
वक्त बीत जाता है बड़े सुकून से दीवारों के सहारों में..
©ABHISHEK MANI
#Loneliness