यह वक्त की धारा है साथियों, कभी सपना तुम्हारा था म | हिंदी शायरी

"यह वक्त की धारा है साथियों, कभी सपना तुम्हारा था मैं साथियों। मुझ में बैठ नजरें नीचे झुका के, अपने प्रिय को तुम हाथ हिला के, मेरी खिड़की पर महसूस किया करते , मेरे साथ जमीन से उड़कर के, यादों का समंदर लहरों को भेज कर, लौट जाता है मुझको यूं ही छूकर के।। ✍️आर्य सुधीर"

 यह वक्त की धारा है साथियों,
कभी सपना तुम्हारा था मैं साथियों।
मुझ में बैठ नजरें नीचे झुका के,
अपने प्रिय को तुम हाथ हिला के,
मेरी खिड़की पर महसूस किया करते ,
मेरे साथ जमीन से उड़कर के,
यादों का समंदर लहरों को भेज कर,
लौट जाता है मुझको यूं ही छूकर के।।
            ✍️आर्य सुधीर

यह वक्त की धारा है साथियों, कभी सपना तुम्हारा था मैं साथियों। मुझ में बैठ नजरें नीचे झुका के, अपने प्रिय को तुम हाथ हिला के, मेरी खिड़की पर महसूस किया करते , मेरे साथ जमीन से उड़कर के, यादों का समंदर लहरों को भेज कर, लौट जाता है मुझको यूं ही छूकर के।। ✍️आर्य सुधीर

वक्त की धारा

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