Unsplash एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो
रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो
होश में हूँ या की बेहोशी में, जो भी हो ये
क्या कहूँ तुम मुझे की और क्या क्या लगती हो
©Ashraf Fani
एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो
रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो
होश में हूँ या की बेहोशी में जो भी हो ये
क्या कहूँ तुम मुझे की और क्या क्या लगती हो
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