मां तू हर किसी से खास है ये बात तुझे बयां नहीं कर पाती
तेरी ये बेटी कलम को चाहती बहुत है
बस तेरे लिए कुछ लिखने को अल्फ़ाज़ नहीं जुटा पाती
मै बैठती हूं जब भी कुछ लिखने को तेरे लिए
कलम मुझ पर है मुस्कुराती और बस कहती है
के तू उस फरिश्ते के बारे में क्या लिखेगी जो हर किसी को नसीब नहीं
के मां अर्श(sky) है जिसको छूने से दिल डरता नहीं
के तू वो शजर (tree)है जिसके पत्ते सूखते नहीं
तू कुछ खास बेशक कहती नहीं
मगर मै समझती हूं कि तेरी हर बात है सही
अब बस इतना कहकर कलम को रख देती हूं
क्योंकि लिखना बहुत है पर स्याही की जरा कमी सी है
वो स्याही मेरी कलम की नहीं
मेरे अल्फाजों की है
और मालूम है तुझे
तू इस मतलब के जहान में
एक वो अपना है को हर वक़्त पास है।
-Nisha