आदत कैसे कह दूं की अब मोहब्बत नही
यादें इतनी है की भुलाए भी
तो भुलाई जाती नही
नही था कि चाहने वाले की कमी थी
पर जिसे हमने चाहा उसने हमे चाहा नही
बिखरे थे रंग मैं बहुत से रंग मगर
जिस रंग मैं हमे घुलना था
वो रंग हमसे मिला नही
बंदिशे हम पर भी जमाने की इतनी ही
कमजोर था शायद प्यार
हालातो से लर पाया नही
कितनी आसानी से कह दिया
अब मुझे प्यार नहीं
आदत थी शायद क्योंकि प्यार तो खत्म ऐसे होता नही
आदत थी शायद
©SURAJ RAY
#आदत