देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते क | हिंदी शायरी

"देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से। ©Ratnesh shukla"

 देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब,

सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से।

©Ratnesh shukla

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से। ©Ratnesh shukla

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