ना रुठ मुझसे ए मंजिल..
में हारी नहीं हूं..
अभी मेरे साथ चलने वालों ने मेरा हाथ छोड़ दिया..
ए मंजिल ना सोच तू खुद को
बुलंद ए खुदाई..
अभी घायल हुई हूं मे ए मंजिल..
तू अपने बिछाए कांटो पर घमंड ना कर..
बहुत देखली मेरी खामोशी..
चल मेरे स्वागत की तैयारी कर..।
©Anjani Soch
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