लिखना पढ़ना बोलना ना भी आये, दिल की बात फिर भी समझन | हिंदी कविता

"लिखना पढ़ना बोलना ना भी आये, दिल की बात फिर भी समझने को तैयार है, न मैं उसे मेरी गोदी से भेजने को तैयार हूँ, न वो मेरी गोदी से जाने को तैयार है।। ©Man Bikaneri (MANJUL KAUSHIK)"

 लिखना पढ़ना बोलना ना भी आये,
दिल की बात फिर भी समझने को तैयार है,
न मैं उसे मेरी गोदी से भेजने को तैयार हूँ,
न वो मेरी गोदी से जाने को तैयार है।।

©Man Bikaneri (MANJUL KAUSHIK)

लिखना पढ़ना बोलना ना भी आये, दिल की बात फिर भी समझने को तैयार है, न मैं उसे मेरी गोदी से भेजने को तैयार हूँ, न वो मेरी गोदी से जाने को तैयार है।। ©Man Bikaneri (MANJUL KAUSHIK)

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