कविता का सरताज गया कवि का सिंहासन रीत गया। युग पुर | हिंदी कविता

"कविता का सरताज गया कवि का सिंहासन रीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। वह अंत सफर से गुजर गया खुदको करके अमर गया , अटल मृत्यु है कहने वाला मृत्यु से मिलकर संवर गया, दुनिया के दिल में जिंदा रहकर अटल मृत्यु से जीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। धीरज अश्रू से छूट गया मन मूक वधिर बन टूट गया, जहन में कोई  हलचल है वो दूत शांति का रूठ गया, मौन हो गया कंठ एक और मानवता का बहता गीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। मानवता से प्रेम किया मानवता का संदेश दिया, सहज शांत संतोषी रहते सदा शांति उपदेश दिया, भाषा से प्रेम बरसता था वह जग को देकर प्रीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। रिंकी कमल रघुवंशी'सुरभि' विदिशा मध्य प्रदेश। ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi"

 कविता का सरताज गया कवि का सिंहासन रीत गया।
युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया।

वह अंत सफर से गुजर गया
खुदको करके अमर गया ,
अटल मृत्यु है कहने वाला 
मृत्यु से मिलकर संवर गया,
दुनिया के दिल में जिंदा रहकर अटल मृत्यु से जीत गया।
युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया।

धीरज अश्रू से छूट गया
मन मूक वधिर बन टूट गया,
जहन में कोई  हलचल है
वो दूत शांति का रूठ गया,
मौन हो गया कंठ एक और मानवता का बहता गीत गया।
युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया।

मानवता से प्रेम किया
मानवता का संदेश दिया,
सहज शांत संतोषी रहते
सदा शांति उपदेश दिया,
भाषा से प्रेम बरसता था वह जग को देकर प्रीत गया।
युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया।

रिंकी कमल रघुवंशी'सुरभि'
विदिशा मध्य प्रदेश।

©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

कविता का सरताज गया कवि का सिंहासन रीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। वह अंत सफर से गुजर गया खुदको करके अमर गया , अटल मृत्यु है कहने वाला मृत्यु से मिलकर संवर गया, दुनिया के दिल में जिंदा रहकर अटल मृत्यु से जीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। धीरज अश्रू से छूट गया मन मूक वधिर बन टूट गया, जहन में कोई  हलचल है वो दूत शांति का रूठ गया, मौन हो गया कंठ एक और मानवता का बहता गीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। मानवता से प्रेम किया मानवता का संदेश दिया, सहज शांत संतोषी रहते सदा शांति उपदेश दिया, भाषा से प्रेम बरसता था वह जग को देकर प्रीत गया। युग पुरुष था भारत का वह स्वर्णिम युग अब बीत गया। रिंकी कमल रघुवंशी'सुरभि' विदिशा मध्य प्रदेश। ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

#पुण्यतिथि
#अटलबिहारीवाजपेयी
#अटल
#AtalBihariVajpayee

People who shared love close

More like this

Trending Topic