कर्मभूमि के लिए हर बार जन्मभूमि छोड़ आते है।
वो घर वो गली वो शहर छोड़ आते है।।
आसान नहीं है पर हर बार छोड़ आते है।
वो डांट वो फिक्र वो ममता का आंचल छोड़ आते है।।
घर में हर बार जल्दी आने की उम्मीद छोड़ आते।
वो मिट्टी वो खुशबू वो सुकून छोड़ आते है।।
©Radha Chandel
#घर