इश्क इबादत है खुद में नायाब तौफा है खुद में कैसे न | हिंदी शायरी

"इश्क इबादत है खुद में नायाब तौफा है खुद में कैसे नजरे हटा लू उससे सादगी उसकी सोलह श्रृंगार हैं खुद में। ©Gulshan_Dwivedi"

 इश्क इबादत है खुद में
नायाब तौफा है खुद में
कैसे नजरे हटा लू उससे
सादगी उसकी सोलह श्रृंगार हैं खुद में।

©Gulshan_Dwivedi

इश्क इबादत है खुद में नायाब तौफा है खुद में कैसे नजरे हटा लू उससे सादगी उसकी सोलह श्रृंगार हैं खुद में। ©Gulshan_Dwivedi

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