आँखों में अश्क ,पर अधरों पे मुस्कान क्यूँ है !
उस पगली के लिए ,दिल इतना परेशान क्यूँ है !!
हम वक्त से हैं वाकिफ ,फिर भी इतने अनजान क्यूँ हैं !
बावले दिल को कौन समझाये ,आखिर ये इतना नादान क्यूँ है !!
©RANJAN KUMAR PANDIT
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