अंदर ही अंदर खा जाती है मुझे
जब तेरी याद बे वक्त आती है मुझे
हर एक दिन और हर पल सताती है मुझे
जब तेरी याद बे वक्त आ जाती है मुझे
वो मेरे लिए मंद सा मुस्कुराना तेरा
मिलने का ढूंढना बहन तेरा
वो जो वादे किए थे तुमने ,आज भी याद है मुझे
मैं नहीं बदलूंगी कह कर चले जाना तेरा
वह विश्वास से भरी आंखें तेरी
रोज रुलाती हैं मुझे
जब तेरी याद बे वक्त आती है मुझे
तेरा साया बनकर तेरे साथ रहता था
दूर मत जाना सौ बार कहता था
तू कहती थी नहीं जाऊंगी मैं
फिर में रोकर तेरी गोद में रह जाता था
तू कहती थी कभी दूर नहीं होंगे हम
कोई कुछ कह कभी मजबूर नही होंगे हम
सोता हूं तो ख्वाब में सहलाती है मुझे
जब तेरी याद बे वक्त आती है मुझे
©Sachin Kumar
तेरी yaad