सुनो, आज कहीं दूर चलते हैं|
मन भर एक दूसरे से बात करते हैं|
जितने गिले-शिकवे थे ना तुम्हारे,
उसको दूर करते हैं|
सुनो,आज कहीं दूर चलते हैं|
सूरज की रोशनी में रंगते हैं |
सितारों से भी मुलाक़ात करते हैं |
एक दूसरे को बाहों में थाम के रखते हैं|
इस शाम को एक-दूसरे के नाम करते हैं|
सुनो, आज कहीं दूर चलते हैं |
©R.k. Swati
सुनो, आज कहीं दूर चलते हैं
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