यादो का लेकर साया,
सब को रुलाया
करके पराया
बता तू क्यों गयी...........
हमारी लाडली.
तुमने जब जब गुनगुनाया ,
हमने दउरा ( छठ का ड़ाला) उठाया
कदम और तेज हुए,कदम और तेज हुए
हमको वजन न बुझाया,जल्दी से छठ घाट पहुंचाया
बता फिर क्यों गयी.. ..................
तू सब की लाडली.
कैसे अनसुना कर पाएंगे जो बोल! तूने सुनाया
छोड़ गयी सबको क्या गलती हुई! नहीं बताया
नए घर क्यों गयी,नए घर क्यों गयी
जिसे ज़न ज़न तक पहुंचाया, ग्लोबल बनाया
बता फिर क्यों गयी..............
तू सब की लाडली.................
🙏🙏🙏🙏
नीलेश सिंह
पटना विश्वविद्यालय
©Nilesh
#शारदासिन्हाजी