हाय! मिलती भी नहीं अब खबर मुझको मेरी,
मैने ने एक गैर को, इस दिल में, यूं बसा रखा है?
दिल में आता है फ़क़त एक बार देखूं उन्हें,
फिर ये लगता है, दीदार में अब, क्या रखा है?
ये आज कल के नमूनों को भी बताये कोई,
यहां उल्फत ने सब का हाल, क्या बना रखा है?
मेरे सीने में भी दिल था, और वो धड़कता था,
मगर अब याद ही नहीं कि दिल, कहां रखा है?
©"संगीतेय"
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