एक नुतन श्रृंगार 💞 💞 (भाग-3) | हिंदी कविता

"एक नुतन श्रृंगार 💞 💞 (भाग-3) आधा जीवन सड़क खा रही आधा रेल सवारी.... भारी पड़ गयी मेरे प्यार पर घर की जिम्मेदारी.... मैं बापू का कर्ज़ा भरता या तो मांग तुम्हारी भरता मरता तो मैं क्या न करता था इतना लाचार मैं.... लुट रहे हैं लुटने वाले... vलुटा रहा हूं प्यार मैं....!!! प्रियांशु गजेन्द्र.. ©Dev Rishi"

 एक नुतन श्रृंगार 💞 💞 (भाग-3)


                    आधा जीवन सड़क खा रही 
          आधा  रेल सवारी.... 
                भारी पड़ गयी मेरे प्यार पर 
       घर की जिम्मेदारी.... 
          मैं बापू का कर्ज़ा भरता 
           या तो मांग तुम्हारी भरता 
         मरता तो मैं क्या न करता 
    था इतना लाचार मैं.... 
    लुट रहे हैं लुटने वाले...
       vलुटा रहा हूं प्यार मैं....!!!

                                                 प्रियांशु गजेन्द्र..

©Dev Rishi

एक नुतन श्रृंगार 💞 💞 (भाग-3) आधा जीवन सड़क खा रही आधा रेल सवारी.... भारी पड़ गयी मेरे प्यार पर घर की जिम्मेदारी.... मैं बापू का कर्ज़ा भरता या तो मांग तुम्हारी भरता मरता तो मैं क्या न करता था इतना लाचार मैं.... लुट रहे हैं लुटने वाले... vलुटा रहा हूं प्यार मैं....!!! प्रियांशु गजेन्द्र.. ©Dev Rishi

प्यार पर कविता

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