बिन बात के ही रुठ ने की आदत है, सच कहु तो किसी अपन | हिंदी Poetry

"बिन बात के ही रुठ ने की आदत है, सच कहु तो किसी अपने की चाहत है; आप खुश रहिये, मेरा क्या है; मे तो आयना हु, मुजे तो टूटने की आदत है..."

 बिन बात के ही रुठ ने की आदत है,
सच कहु तो किसी अपने की चाहत है;

आप खुश रहिये, मेरा क्या है;
मे तो आयना हु, मुजे तो टूटने की आदत है...

बिन बात के ही रुठ ने की आदत है, सच कहु तो किसी अपने की चाहत है; आप खुश रहिये, मेरा क्या है; मे तो आयना हु, मुजे तो टूटने की आदत है...

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