चांद को चांद रहने दो
न ढूंढो कोई दाग उसमें,
उसकी रोशनी से इस जहां को रोशन होने दो
तुम चांद को चांद रहने दो,,,
पहचान उसकी इसी से है
उस पहचान में खुद को ढलने दो
चांद को चांद रहने दो
तुम जैसी ग़र मैं हो जाऊं या मुझ जैसे ग़र तुम
तो फर्क ही क्या ?
दो अलग अलग अंदाजों को यूं ही मिलने दो
तुम चांद को चांद रहने दो,,,,,,
# अंकिता
# चांद को चांद रहने दो