बॉस की डाँट या फ़ाइल में बिज़ी रहते हैं
हम तो दफ़्तर के मसाइल में बिज़ी रहते हैं
अब "बड़े बूढ़े" भरे घर में हैं तन्हा तन्हा
घर के सब लोग मोबाइल में बिज़ी रहते हैं
क़ैद इक कमरे में हो जाना तो बीमारी है
हम हैं तन्हा मगर महफ़िल में बिज़ी रहते हैं
जाने किस लम्हा वो इक दूजे को दिल दे बैठे
अब तो दोनो इसी मुश्किल में बिज़ी रहते हैं
सब की दिलचस्पी का सामान है इस दुनिया मे
हम "सख़ी" मजम ए साइल में बिज़ी रहते हैं
असद निज़ामी
©DrAsad Nizami
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