जिम्मेदारियों के बीच घिरा रहा खुद की ख्वाहिशों को | हिंदी शायरी

"जिम्मेदारियों के बीच घिरा रहा खुद की ख्वाहिशों को खो कर परिवार की परवाह करता रहा मर्द ओ फिलिंग हैं जो आंखों में आसूं हो कर भी रो ना पाया Anjaliraj ©kasishraj"

 जिम्मेदारियों के बीच घिरा रहा 
खुद की ख्वाहिशों को खो कर परिवार की परवाह करता रहा मर्द ओ फिलिंग हैं जो आंखों में आसूं हो कर भी रो ना पाया
Anjaliraj

©kasishraj

जिम्मेदारियों के बीच घिरा रहा खुद की ख्वाहिशों को खो कर परिवार की परवाह करता रहा मर्द ओ फिलिंग हैं जो आंखों में आसूं हो कर भी रो ना पाया Anjaliraj ©kasishraj

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