साथ रहता था मगर साथ नहीं था मेरे, उसकी क़ुरबत ने | हिंदी शायरी

"साथ रहता था मगर साथ नहीं था मेरे, उसकी क़ुरबत ने भी अक्सर मुझे तन्हा रखा। उसके करीब होकर भी जैसे दूर ही था, उसके साथ ने भी दिल को अकेला रखा। ©Nurul Shabd"

 साथ रहता था मगर साथ नहीं था मेरे,  
उसकी क़ुरबत ने भी अक्सर मुझे तन्हा रखा।

उसके करीब होकर भी जैसे दूर ही था,  
उसके साथ ने भी दिल को अकेला रखा।

©Nurul Shabd

साथ रहता था मगर साथ नहीं था मेरे, उसकी क़ुरबत ने भी अक्सर मुझे तन्हा रखा। उसके करीब होकर भी जैसे दूर ही था, उसके साथ ने भी दिल को अकेला रखा। ©Nurul Shabd

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उसकी क़ुरबत ने भी अक्सर मुझे तन्हा रखा।

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