छुपा लो अपने गमों को अपने भीतर सबसे हँस कर मिलो | हिंदी कविता

"छुपा लो अपने गमों को अपने भीतर सबसे हँस कर मिलो ताकि तुम्हे देख कर कोई मुस्कुरा सके क्योंकि रोने के लिए एक कोना है ना जो तेरे गमों का साथी है तो फिर क्यूँ ना मुस्कुराया जाए और जमाने को हंसाया जाए इस उम्मीद के साथ कि शायद मेरे मुस्कुराने से कोई अपना गम भूल जाए ©Anita Mishra"

 छुपा लो अपने गमों को अपने भीतर   
सबसे हँस कर मिलो
ताकि तुम्हे देख कर कोई मुस्कुरा सके
  क्योंकि रोने के लिए एक कोना है ना 
जो तेरे गमों का साथी है 
तो फिर क्यूँ ना मुस्कुराया जाए और
 जमाने को हंसाया जाए
 इस उम्मीद के साथ 
कि शायद मेरे मुस्कुराने से
 कोई अपना गम भूल जाए

©Anita Mishra

छुपा लो अपने गमों को अपने भीतर सबसे हँस कर मिलो ताकि तुम्हे देख कर कोई मुस्कुरा सके क्योंकि रोने के लिए एक कोना है ना जो तेरे गमों का साथी है तो फिर क्यूँ ना मुस्कुराया जाए और जमाने को हंसाया जाए इस उम्मीद के साथ कि शायद मेरे मुस्कुराने से कोई अपना गम भूल जाए ©Anita Mishra

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