मेरी हर शै मे तेरा ही अकस नज़र आता है
तुजे छू ने को मगर दिल मेरा तरस जाता है
रखता हू हर पल तुमहे महफूज़ अपनी बनद पलको मे
मगर आखो से मेरी अशको का समनदर छलक जाता है
मेरी हर शै मे तेरा ही अकस नज़र आता है
तुजे छू ने को मगर दिल मेरा तरस जाता है
तेरी हर याद को हाथ की हथेली मे बनद कर के मै रखता हू
तेरा वजूद रेत बनकर हाथो से फिसल जाता है
बन के शममा तू रोशन करती है अभी भी मेरे दिल के आशियाने को
रात डलते ही तेरा तससअवूर मोम बनकर पिगल जाता है
मेरी हर शै मे तेरा ही अकस नज़र आता है
तुजे छू ने को मगर दिल मेरा तरस जाता है....
©deepak raina
#RIP_KK