कैसे डसेगा कौन मुझे जानता हूं मैं लेकिन किसी का खौ | हिंदी शायरी

"कैसे डसेगा कौन मुझे जानता हूं मैं लेकिन किसी का खौफ़ कहां मानता हूं मैं जंगल की हो या फिर हो किसी आस्तीन की सांपों की सारी नस्लों को पहचानता हूं मैं। ©Dr. Shadab Ali"

 कैसे डसेगा कौन मुझे जानता हूं मैं
लेकिन किसी का खौफ़ कहां मानता हूं मैं
जंगल की हो या फिर हो किसी आस्तीन की
सांपों की सारी नस्लों को पहचानता हूं मैं।

©Dr. Shadab Ali

कैसे डसेगा कौन मुझे जानता हूं मैं लेकिन किसी का खौफ़ कहां मानता हूं मैं जंगल की हो या फिर हो किसी आस्तीन की सांपों की सारी नस्लों को पहचानता हूं मैं। ©Dr. Shadab Ali

#shraddha

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